Union Budget 2025: भारतीय बाजारों की प्रमुख सुधारों की प्रतीक्षा में संघीय बजट से क्या उम्मीद करें?

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Union Budget 2025: भारतीय बाजारों की प्रमुख सुधारों की प्रतीक्षा में संघीय बजट से क्या उम्मीद करें?

Union Budget 2025 – भारत का केंद्रीय बजट हर साल 1 फरवरी को पेश किया जाता है। यह बजट सरकार की आगामी आर्थिक नीतियों और विकास योजनाओं की रूपरेखा तैयार करता है। वित्त वर्ष 2025 का बजट खास है क्योंकि बाजार और उद्योग कई महत्वपूर्ण सुधारों की उम्मीद कर रहे हैं। आइए जानें कि बजट 2025 से भारतीय बाजारों और अर्थव्यवस्था को क्या उम्मीदें हैं।

1. Union Budget 2025 – आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय घाटा

सरकार ने 2025 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर (Economic Growth Rate) 10.3% से 10.5% के बीच रहने का अनुमान लगाया है। इसका मतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज़ी से विकास होने की संभावना है।

यह वृद्धि मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करेगी:

  1. सरकारी खर्च: बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में अधिक निवेश।
  2. कृषि क्षेत्र: किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादन में सुधार के लिए नई योजनाएं।
  3. निर्यात: भारतीय उत्पादों और सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ाने के प्रयास।

इसके साथ ही, सरकार मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए व्यक्तिगत आयकर में कटौती कर सकती है। इसका उद्देश्य है लोगों के पास ज्यादा खर्च करने योग्य आय (Disposable Income) उपलब्ध कराना, जिससे घरेलू खपत और मांग बढ़े।

हालांकि, इन सुधारों के बावजूद सरकार ने अपने वित्तीय अनुशासन को बनाए रखने का लक्ष्य रखा है। इसका मतलब है कि सरकार राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को 4.5% के नीचे रखने की कोशिश करेगी।
राजकोषीय घाटा वह स्थिति है, जब सरकार के खर्चे उसकी आय से अधिक हो जाते हैं। इसे नियंत्रित करना आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

2. पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी

सरकार ने पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) बढ़ाने का निर्णय लिया है। पूंजीगत व्यय का मतलब है ऐसे खर्चे जो लंबे समय तक देश के विकास में योगदान करते हैं, जैसे सड़कें, रेलवे, ऊर्जा उत्पादन संयंत्रAMP, और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण।

इसका महत्व:

  1. बुनियादी ढांचे का विकास:
    • सड़कों, रेलवे और ऊर्जा संयंत्रों जैसे प्रोजेक्ट्स से यातायात और परिवहन में सुधार होगा।
    • औद्योगिक क्षेत्रों तक बेहतर कनेक्टिविटी से व्यापार और निर्यात में वृद्धि होगी।
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  2. रोजगार के अवसर:
    • जब सरकार बड़ी परियोजनाओं पर खर्च करती है, तो इससे निर्माण क्षेत्र (Construction Sector) में लाखों नौकरियां पैदा होती हैं।
    • मजदूरों, इंजीनियरों, और अन्य श्रमिक वर्ग को काम के अधिक अवसर मिलते हैं।
  3. आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि:
    • बुनियादी ढांचे के बेहतर होने से व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
    • जब उद्योग अधिक उत्पादक और कुशल होते हैं, तो इससे GDP में वृद्धि होती है।
  4. निवेशकों का विश्वास:
    • बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च से यह संदेश मिलता है कि सरकार आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
    • इससे घरेलू और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।

3. कर सुधार

सरकार बजट 2025 में कर सुधार (Tax Reforms) की घोषणा कर सकती है, जो कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने पर केंद्रित होंगे। उद्योग और आम नागरिक दोनों ने कर सुधारों को लेकर अपनी मांगें रखी हैं। आइए समझते हैं इन सुधारों का महत्व और उनकी संभावनाएं:

1. आयकर में राहत

  • मध्यम वर्ग के लिए राहत: आयकर दरों को कम करने या कर-मुक्त आय की सीमा बढ़ाने की उम्मीद है।
  • लाभ:
    • करदाता के पास अधिक बचत और खर्च करने योग्य आय (Disposable Income) होगी।
    • घरेलू खपत बढ़ने से अर्थव्यवस्था में मांग को प्रोत्साहन मिलेगा।

2. ईंधन करों में कटौती

  • मांग: पेट्रोल, डीजल और अन्य ईंधन पर टैक्स कम करने की।
  • लाभ:
    • ईंधन की कीमतें कम होंगी, जिससे परिवहन और उत्पादन लागत घटेगी।
    • महंगाई दर पर नियंत्रण होगा, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।

3. पूंजीगत लाभ कर में बदलाव

  • क्या है पूंजीगत लाभ कर?
    • यह वह कर है जो किसी निवेश (जैसे शेयर, संपत्ति आदि) से लाभ कमाने पर लगाया जाता है।
  • मांग:
    • कर संरचना को सरल बनाया जाए।
    • निवेश पर दीर्घकालिक लाभ (Long-term Gains) के लिए कर की दर घटाई जाए।
  • लाभ:
    • निवेशक अधिक आकर्षित होंगे।
    • शेयर बाजार और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में नई जान आएगी।

यह सुधार क्यों महत्वपूर्ण हैं?

  1. करदाताओं का बोझ कम करना:
    • कर की दरों को कम करना और प्रक्रिया को सरल बनाना आम लोगों और उद्योगों के लिए लाभकारी होगा।
  2. निवेश को प्रोत्साहन:
    • कम कर दरें निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाएंगी।
    • इससे भारतीय बाजार में विदेशी और घरेलू निवेश दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
  3. आर्थिक विकास:
    • बढ़ी हुई खपत और निवेश से GDP में वृद्धि होगी।
  4. सरलता और पारदर्शिता:
    • जटिल कर प्रणाली को सरल बनाना करदाताओं के लिए सहूलियत भरा होगा और अनुपालन दर (Compliance) भी बढ़ेगी।

4. विदेशी निवेश और व्यापार

विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार व्यापार नियमों को सरल बना सकती है। भारतीय रुपये के उपयोग को बढ़ावा देकर विदेशी व्यापार को सशक्त बनाया जाएगा।

5. वित्तीय क्षेत्र में सुधार

वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने के लिए नई योजनाएं पेश की जा सकती हैं। इसके तहत:

  • वित्तीय संस्थानों की कार्यक्षमता बढ़ाई जाएगी।
  • जलवायु वित्त के लिए विशेष प्रावधान किए जाएंगे।

6. श्रम और भूमि सुधार

श्रमिकों और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए श्रम कानूनों और भूमि सुधारों पर ध्यान दिया जाएगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उद्योगों को कुशल श्रमशक्ति मिलेगी।

7. डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी

सरकार डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए निवेश करेगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच आसान होगी।

8. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र

स्वास्थ्य और शिक्षा में बजट बढ़ने की संभावना है। इससे कमजोर वर्गों को बेहतर सुविधाएं और युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।

9. पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन से निपटने और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार नई योजनाएं ला सकती है। पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

10. कृषि क्षेत्र

किसानों की आय बढ़ाने और कृषि में नवाचार लाने के लिए नई योजनाएं लाई जाएंगी। इसमें सिंचाई की सुविधाएं बढ़ाने और कृषि उत्पादों के दाम तय करने की प्रणाली में सुधार पर जोर होगा।

निष्कर्ष

बजट 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई संभावनाएं लेकर आ सकता है। सरकार के सुधारों से विकास दर में बढ़ोतरी, रोजगार सृजन और आम जनता के जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद है। हालांकि, इन सुधारों का असली फायदा तभी होगा जब इन्हें समय पर और प्रभावी तरीके से लागू किया जाए।

यह बजट भारतीय बाजारों के लिए नई दिशा तय कर सकता है और देश की आर्थिक स्थिति को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

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