2025
मानव मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) एक श्वसन वायरस है जो विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है। यह वायरस श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है, जिससे हल्के सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर निमोनिया तक की बीमारियां हो सकती हैं।
HMPV की खोज 2001 में नीदरलैंड में हुई थी। हालांकि, अनुसंधानों से पता चला है कि यह वायरस कम से कम 50 वर्षों से मानव जनसंख्या में मौजूद है। यह वायरस न्यूमोविरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस जीनस से संबंधित है और रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस (RSV) के समान है।
HMPV संक्रमण के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जो संक्रमित व्यक्ति की आयु और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
गंभीर मामलों में, विशेषकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में, निम्नलिखितAMP लक्षण प्रकट हो सकते हैं:
HMPV मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने या छींकने के दौरान निकलने वाली छोटी बूंदों के संपर्क में आने से फैलता है। इसके अलावा, संक्रमित सतहों को छूने के बाद आंखों, नाक या मुंह को छूने से भी यह संक्रमण हो सकता है।
निम्नलिखित समूहों में HMPV संक्रमण का जोखिम अधिक होता है:
HMPV संक्रमण का निदान श्वसन नमूनों, जैसे नासॉफैरिंजियल स्वैब या बलगम, के परीक्षण से किया जाता है। पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) परीक्षण सबसे सामान्य विधि है, जो वायरस के आनुवंशिक पदार्थ की पहचान करता है। इसके अतिरिक्त, एंटीजन डिटेक्शन और सीरोलॉजिकल परीक्षण भी उपयोगी हो सकते हैं।
वर्तमान में HMPV के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने और सहायक देखभाल पर केंद्रित होता है, जिसमें शामिल हैं:
गंभीर मामलों में, विशेषकर सांस लेने में कठिनाई होने पर, अस्पताल में भर्ती और ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।
HMPV संक्रमण से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय सहायक हो सकते हैं:
हाल ही में, भारत में भी HMPV संक्रमण के मामले सामने आए हैं। बेंगलुरु में तीन महीने की एक बच्ची और छह महीने के एक बच्चे में HMPV संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, अहमदाबाद में भी दो महीने के एक बच्चे में इस वायरस का संक्रमण पाया गया है। सौभाग्य से, ये सभी बच्चे या तो स्वस्थ हो चुके हैं या स्वस्थ हो रहे हैं।
HMPV और COVID-19 दोनों श्वसन वायरस हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं। HMPV का संक्रमण आमतौर पर हल्का होता है और यह लंबे समय से मानव जनसंख्या में मौजूद है, जबकि COVID-19 एक नया वायरस है जिसने वैश्विक महामारी का रूप लिया। HMPV के लिए वर्तमान में कोई टीका या विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, जबकि COVID-19 के लिए टीके और उपचार विकसित किए गए हैं।
HMPV एक महत्वपूर्ण श्वसन वायरस है, जो बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन सकता है। इसका प्रसार संक्रमित बूंदों और सतहों के माध्यम से होता है, और इसके लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस तक हो सकते हैं।
भले ही इस वायरस के लिए फिलहाल कोई विशिष्ट टीका या एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन संक्रमण से बचने के लिए निवारक उपायों को अपनाना, जैसे हाथ धोना, संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना, और व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना, अत्यंत प्रभावी हो सकता है।
भारत में HMPV के मामलों का उदय यह दर्शाता है कि हमें इस वायरस के प्रति अधिक सतर्क रहने और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है। समय पर निदान, उचित चिकित्सा देखभाल और जागरूकता से इस संक्रमण के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
COVID-19 महामारी ने हमें यह सिखाया है कि श्वसन वायरस की अनदेखी न करते हुए हमें उनकी निगरानी और अनुसंधान को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसी तरह HMPV पर भी अधिक ध्यान देकर न केवल उपचार और रोकथाम के उपाय विकसित किए जा सकते हैं, बल्कि इससे प्रभावित समुदायों को भी राहत दी जा सकती है।
आने वाले समय में इस वायरस से बचाव और प्रबंधन के लिए अनुसंधान में निवेश, स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी और जन जागरूकता अभियान प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। HMPV से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता है, ताकि न केवल इसके संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके, बल्कि भविष्य में इस तरह के अन्य वायरस से बचने की तैयारी भी की जा सके।
समाज और सरकार की भागीदारी से ही HMPV के प्रसार को रोका जा सकता है और संवेदनशील आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। यह केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि एक साझा जिम्मेदारी है, जिसे हम सबको मिलकर निभाना होगा।